Friday, July 28, 2023

Hindi Poem Original

#original

राम भी सो गए, 
माधव कहीं खो गए।  
राधा जो बुन रही,
गीत कहीं गुम गए।  

किन्नर संभावना,
हतप्रभ वीरांगना।  
नित् नित् नृत्यांगना, 
नाचे मोरे आंगना।  
टेढ़ा मेढ़ा आंगना,
फिर भी मोहे नाचना। 

किसको है ढूंढना,
कैसे उसे बूझना। 
कब तक खंगालना,
कैसे निभाहना। 

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